कूड़ा से उर्जा योजना 2023 | kooda se urja yojana 2023 | west to energy scheme 2023
भारत में स्वच्छ भारत के अंतर्गत कूड़े कचरे को लेकर सरकार द्वारा आये दिन नई-नई योजनायें चलाई जाती रही हैं,चाहे वह घर-घर शौचालय हो या गीला कचरा-सुखा कचरा, क्योकि आज दुनिया भर में प्रदुषण एक बड़ी समस्या बनी हुयी है, आज पूरा विश्व प्रदुषण कम करने के लिए पूरा विश्व अलग-अलग तरह की योजनाओं को चला रहे हैं ,आपके मन में बहुत से सवाल होंगे इस योजना से सम्बंधित जैसे की -
कूड़ा से उर्जा योजना क्या है?
वेस्ट टू एनर्जी योजना क्या है?
कूड़ा से उर्जा योजना में कितने शहर शामिल है?
इस योजना को किस मंत्रालय के अंतर्गत चलाया जा रहा है?
कूड़े से बिजली कैसे बनेगी?
कौन-कौन से शहरों में लगेंगे प्लांट?
ऐसे ही बहुत से सवालों के जवाब आपको मिल जायेंगे थोडा धैर्य रखिये और इसे अंत तक पढ़िए -
इसी प्रदुषण को कम करने के लिए सरकार द्वारा एक बहुत ही अच्छी योजना स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के अंतर्गत शुरू कर दी गयी है जिसका नाम है "कूड़ा से उर्जा" "वेस्ट टू एनर्जी "घटेगा कचरा बढेगी बिजली और CNG ,इस योजना को केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा चलाया जा रहा है ,कचरा मुक्त शहर के इस मिशन को शहरों से एकत्रित किये गए कचरे से बिजली और CNG बनाने के लिए 75 शहरों को चिन्हित किया गया है जिनमें CNG प्लांट्स लगाये जायेंगे, जिनमें कूड़े कचरे से बायोगैस CNG का निर्माण किया जायेगा, यह सुनाने में अजीब लगता है पर एक बहुत ही बड़ी पहल है, आज का युग स्मार्ट सिटी का है पर शहरों में आज भी सडकों पर जगह जगह कूड़ा कचरा पड़ा रहता है जिसके कारण देश की सुन्दरता कम होती है,
शहरी कचरे से बिजली बनाने की योजना पर कार्य शुरू कर दिया गया है , शहरी क्षेत्रों को कूड़ा मुक्त करने के लिए सरकार ने आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में विशेष प्रावधान किये हैं,
इसके पहले चरण में 10 लाख की आबादी वाले 25 शहरों को चिन्हित किया गया है इनमे सबसे पहले कार्य शुरू कर दिया गया है ,जिनमे कूड़े से बिजली और CNG ( कंप्रेस्ड नेचुरल गैस ) बनायीं जाया करेंगी, दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में वृहद स्तर पर सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग की सुविधा स्थापित की जाएँगी , इस श्रेणी में कुल 59 शहरों में-लखनऊ, कानपूर, बरेली, नासिक, ठाणे, नागपुर, ग्वालियर, चेन्नई, मदुरै, और कोयम्बटूर जैसे प्रमुख शहर हैं , इन शहरों में जैविक और सूखे कचरे की प्रोसेसिंग के लिए बायो मीथेन प्लांट स्थापित किये जायेंगे लेकिन पहले चरण में निम्न 25 शहरों को चुना गया है,
पिचले वर्ष इंदौर में एशिया की सबसे बड़ी म्युन्सिपल सॉलिड वेस्ट आधारित गोबर-धन प्लांट की स्थापना की गयी, इस मॉडल प्लांट की उत्पादन क्षमता 19000 हजार किलो बायो CNG गैस की है , ये प्लांट अक्षय उर्जा के रूप में बायो CNG का उत्पादन करेंगे , "वेस्ट टू एनर्जी" प्लांट में शहरी सॉलिड वेस्ट से निकालने वाले सूखे कचरे के अंस का प्रयोग किया जायेगा इसकी प्रोसेसिग में कम से कम जगह का उपयोग करके कचरे से अक्षय उर्जा उत्पादन करते हैं, ये प्लांट पर्यावरण के संरक्षण के वैधानिकों को भी पूरा करते हैं,
इस परियोजना में निजी क्षेत्रों के साथ मिलकर स्थापित संयंत्रों की निगरानी में शहरी निकायों का इंजिनियर इंडिया लिमिटेड EIL मदद करेगा,
इस योजना से लोगो को साफ-सफाई तो देखने को मिलेगी ही साथ ही साथ उनको रोजगार मिलने के अवसर भी प्राप्त होंगे, रोजगार से इतर भी कई परेशानियों से निजात मिलेगी जैस बिमारियों में कमी होना और आये दिन नाले और नालियों का पानी कचरे के कारण बंद हो जाता है जल्द ही इस परेशानी से छुटकारा मिलने वाला है, पेट्रोल डीजल के आयत से देश की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी लेकिन अब इस योजना के माध्यम से हम आत्मनिर्भर भारत की पहल को बढ़ावा देंगे, सच मानों यह एक बहुआयामी योजना है पर इसको सफल बनाना आपका और हमारा काम है
योजना से लाभ-
- शहरों का सौन्दर्यीकरण
- रोजगार के अवसर
- बिमारीयों को पनपने से रोकने में मददगार
- वायु प्रदुषण को कम करेगा
- ग्लोबल वार्मिंग में कमी
- CNG के दामों में कमी
- स्वच्छ भारत मिशन 2.0 को आगे बढ़ाना
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